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Remembering my father-in-law on his third death anniversary

आदरणीय पापा जी, आज आपको गए तीन वर्ष हो गए. हर बार की तरह कल सुबह घर में हवन है एवं सभी साइट्स पर भण्डारा. मानव स्वभाव की विचित्रता पर हर दिन मुस्कुराती भी हूं एवं विचलित भी हो जाती हूं कि आख़िर क्यों जब व्यक्ति भौतिक जगत में होता…

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