You recognised your inner calling and went ahead. I bless you for many more such ventures.
Mrs. Annie Singh
Thank you medhavi for making such a difficult text at least understandable for me.Mere swadhyay ka saara credit tum ko.
Dr. Shalini Jain
मैं यह कहना चाहूंगा कि ‘आपकी कहानियों और ब्लॉग्स ने हमेशा मुझे आत्मनिरीक्षण को प्रेरित किया और बेहतर इंसान बनने की स्थिति पहुंचाया है। आपके वर्षों के समर्पण और लाइफ कोच बनने हेतु कड़ी मेहनत के कारण आपके लेखन में बहुत विविधता है। मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आपकी रचनाओं द्वारा मैं अब अपने व्यक्तित्व में सकारात्मक बदलाव देख सकता हूं।
Suchit Yadav
मेधावी जी के सभी लेख एवं कविताएं समस्त विषयों पर गहन ज्ञान से भरे हुए होते हैं. चाहे वह अध्यात्म हो, जीवन शैली, आत्म सुधार अथवा पर्यावरण के भिन्न पहलू. सभी लेख समझने में सरल होते हुए भी गहरे दार्शनिक होते हैं.
Narendra Kandhari
Designer
मेधावी जैन जी का लेखन अध्यात्म, जीवन दर्शन, प्रेरणा, उत्साह एवं सकारात्मक विचारों से इस क़दर ओतप्रोत रहता है कि कोई भी पढ़कर प्रेरित होने से नहीं बच सकता है. अद्भुत लेखिका हैं, कहीं भी बनावटी पन देखने को नहीं मिलता. इनकी रचनाऍं निडर, संघर्ष और हौसले को बढ़ातीं, वट वृक्ष की भाँति छाया देने वाली हैं. अभिव्यक्ति सहज भावों में उकेरती उनकी समस्त पुस्तकों का अध्ययन करने के बाद मैंने यह जाना कि उनकी कलम प्रकृति का विराट रूप संजोये अपनी यात्रा में लीन रहने को प्रेरित करता है. उनकी रचनाओं में ज्ञान का प्रकाश हर तरफ़ छाया रहता है. उत्सुकता बनी रहती है उनका लिखा पढ़ने की. काफ़ी सालों से मैं लगातार लेखिका को पढ़ रही हूँ, पढ़ने से ज्ञान में इस प्रकार निरंतर वृद्धि हुई है कि मैं स्वयं चकित हूँ. लेखन साधना है यह बात मैंने उनसे सीखी.
Kiran Yadav
Designer
यह मैं अपनी एक उपलब्धि मानता हुँ की मैंने उनकी एक एक रचना को पढ़ा है समझा है और जिया है और प्रतेक पर टिपणी करके अपने तरीके से उसका विस्तार किया है शुरू में मैं अपने को केवल एक पाठक ही मानता था पर अब मैं अपने को उनकी इस यात्रा का एक सहयात्री मानता हूँ , उनकी हर उपलब्धि को अपनी उपलब्धि मानता हूं
Rakesh Popli
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I think thanks is a small word to express our gratitude I hope your efforts would at least make us reach somewhere from nowhere –
Mrs. Anita Jain
Designer
इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला निस्संदेह कुछ भी नहीं है. लेखन को साधना मानने वाले मेधावी उपनिषदों के इस भाषा को पूर्ण रूप से चरितार्थ करती है. लिखते तो बहुत हैं पर शायद ही कोई अपने लेखन को स्वयं की खोज का माध्यम बनाता है. मेधावी के द्वारा मृत्यु की मीमांसा पूर्णतया नया आयाम खोलती है. वह शरीर की मृत्यु की नहीं अपितु अंतरात्मा के हनन की बात करती है. इतनी कच्ची उम्र में वह सांसारिक कर्म और लेखन साधना के बीच तारतम्य बनाए रखती है. आत्मानुसंधान में जुटी बाहरी जगत से नाता नहीं तोड़ती. मेधावी में उस कर्म योगी की झलक मिलती है जो जानता है कि कर्म फल से बचने के लिए निष्क्रियता पर आसक्ति सत्य से दूर करती है. उसका यही गुण उसे लोक वासना से दूर रखता है.
Pro. Rekha Jain
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Just finished reading the paper. Realised how little is my knowledge. Found it very interesting. You are obviously a great scholar and in me you have a fan, ma’am. Thanks for sharing your outstanding work.
Retd. Major General Mr. Bhupesh Jain
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You have changed my life in past few years.
Sunita Jain
Designer
मेधावीजी, मैं आपके आलेख -कविता, जो आपकी भावना का भाषिक रूप है , मैं अधिकांशत: पढता हूँ।किन्तु सब पर कमेंट नहीं कर पाता। अनिर्वचनीय तत्त्व को पदार्थ (भाषा) में प्रकाशित करने का एक कठोर प्रयास को संतुलन देना आपकी कला है। कभी कभी मैं सोचता हूँ कि अंतिम सीढ़ी से एक पायदान पहले बैठ कर आप संतुष्ट रहतीं है तो कभी लगता है दोनों जगत में आपके निर्वाध गमनागमन की स्थिति ही आपको स्वाभाविकता प्रदान की है। आध्यात्मिकता तो सर्व व्यापिनी हैं, इस लिए नहीं कहूँगा की गृहस्थ-सांसारिक जीवन को सार्थक भोग करते हुए इन्द्रियातीत तत्त्वों के दिव्य आनंद में रमण करना कोई कठिन काम है। आप स्वयं ही इसका आदर्श उदाहरण हैं। एक साधक आत्मा सभी स्थितिओं में उस दिव्य आनंद को प्राप्त करते हैं। अव्यक्त जगत का जो रूप देने का प्रयास अपने भाषा में आप करतीं है वह अपने आप ही व्यक्त और अव्यक्त का सेतु बन जाता है। परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ कि आपका आध्यात्मिक उत्तरण निरंतर गतिशील हो, दिव्य आनंद की अनुभूति अक्षय हो।
Prof. J. R Bhattacharya
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I am really thankful to you. I’ve learnt so many things about Dharma and how to apply the same in our everyday life & on ourselves.
Sapna Jain
Designer
Your straight and well-meaning talk can save many from wasting their valuable time and effort which they can use for more profitable preoccupations instead of on something for which they are really unsuited. Those who do not get convinced easily can be advised to go through certain works and feel for themselves their calibre or capability to delve into a serious subject which demands intense natural curiosity and a high degree of existing perception. It is certainly for the extraordinary. For the ordinary, an appropriate selection of literature for exposure and getting some light should be enough.
Mr. Hari Singh Sidhu (Ex. Army Officer)
Designer
Medhavi ji though I have known u since a year. I am deeply thankful to u for taking me with u on this enlightening journey of Samaysar. While reading this scripture I feel more inclined towards knowing the essence of Jainism.
Shalini Jain
Designer
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