सामूहिक चर्चा में बनते-बैठते असीम ऊर्जा के पर्वत
एक दूसरे को राह दिखाते, उत्तेजित करते
कुछ कड़वे, कुछ निर्मल.
अपनी ऊर्जा को पराधीन मत होने दो
इसे अपने गंतव्य के लिए सँजो कर रखो.
प्रतिपल स्वयं को चेतोन
और यदि हो सके
तो अपनी शुद्ध ऊर्जा बाकियों तक पहुंचाओ.
Pleasant day friends!!!
Medhavi 🙂