क्रोध, मान, माया, सच्चरित्रता, लोभ, संयम इन सबके होने देने या रोक लेने में केवल एक झीना आवरण है. किन्तु इस हल्के आवरण के दोनों ओर की परिस्थितियों में ज़मीन-आसमान का अन्तर. एक ऐसी खाई जिसे चाह कर भी नहीं भरा जा सकता. एक तरफ़ वे मुकाम जिन्हें मैंने वर्षों की मेहनत व तपस्या के बाद हासिल किया है और दूसरी तरफ़ विस्फोटक, जो एक धमाके में उस पर पानी फेर देने का माद्दा रखता है. जो एक तरफा है, फिर दूसरा मौका नहीं.
तत्पश्चात केवल आँसू हैं, अपराध-बोध है और क्रंदन है. चुनना मुझे है.
Have a great day pals!!!
Medhavi 🙂