प्रथम पुस्तक का प्रकाशित होना
यात्रा में एक और पड़ाव का जुड़ना.
अहसास हुआ असंख्य लेखकों
व उनकी असंख्य रचनाओं के सागर के बीच
एक नन्ही, अनसीखी, अनभिज्ञ धारा और जुड़ गई है.
जिसके लिए यह यात्रा की शुरुआत भर है
मंज़िलें अभी और भी हैं
और आत्म-विश्लेषण, आत्म-चिंतन, आत्म-सुधार
व पृथकत्व की ओर
यात्रा लगातार ज़ारी है.
Have a great day friends!!!
Medhavi 🙂