दिनचर्या के कई पड़ावों पर अनजाने में
पुरानी पड़ी सोचें, विश्वास, कई बार
कहीं भीतर, अचानक ही दरक जाते हैं.
और ऐसे कि वे चाहे छोटा ही सही
जीवन में हमेशा के लिए एक बदलाव ले आते हैं.
अधिकतह ये बेहतरी के लिए ही होते हैं
आत्म- चिंतन ज़ारी रखो और भविष्य में
ऐसे और बेहतर बदलावों के स्वागत के लिए
तैयार रहो.
पुरानी, अवैज्ञानिक, रूढ़िवादी सोचों को दरकने दो
स्वयं के एक नए व्यक्तित्व की उन्नति होने दो.
Happy day friends!!!
Medhavi:-)