चेतन और अवचेतन की लड़ाई में
जीत तो चेतन की ही होगी.
चूँकि चेतन मेरा आज का पुरुशार्थ है
और अवचेतन इतिहास से पूर्ण.
जो मेरे प्रत्येक प्रयास पर
मुझे भयभीत करता है, रोकता है
रहने दो, तुमसे नहीं होगा.
किन्तु चेतन भी दृढ़ है
अब तो यह मंज़िल हासिल करके ही रहेगा
चूँकि अब यह जाग्रत है.
Thoughtful Sunday Pals!!!
Medhavi 🙂